Indian Railways ने ब्रॉड गेज के 82% नेटवर्क के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम किया पूरा, जानें कितना है देश में ब्रॉड गेज नेटवर्क
Indian Railways electrification: पत्र-सूचना कार्यालय की तरफ से जारी जानकारी में बताया गया है कि भारतीय रेल ने ब्रॉडगेज लाइन पर करीब 82 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा कर लिया है.
Indian Railways electrification: भारतीय रेल देशभर में अपने नेटवर्क के इलेक्ट्रिफिकेशन के काम को तेजी से आगे बढ़ा रही है. रेलवे (Indian Railways) ने अपने पूरे ब्रॉड गेज नेटवर्क के विद्युतीकरण (Railway electrification) की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है, जिसके परिणामस्वरूप बेहतर ईंधन ऊर्जा का इस्तेमाल हो सकेगा. फ्यूल खर्च में कमी आएगी और इससे कीमती विदेशी मुद्रा में भी बचत होगी. पत्र-सूचना कार्यालय की तरफ से जारी जानकारी में बताया गया है कि भारतीय रेल ने ब्रॉडगेज लाइन पर करीब 82 प्रतिशत इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा कर लिया है.
2021-22 में सबसे ज्यादा Railway electrification
खबर के मुताबिक, वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, अक्टूबर 2022 तक, भारतीय रेल ने वित्त वर्ष 2021-22 की इसी अवधि के दौरान 895 किलोमीटर की तुलना में 1223 रूट किलोमीटर (आरकेएम) के इलेक्ट्रिफिकेशन का काम पूरा कर लिया है. यह पिछले वर्ष की इसी अवधि के आंकड़ों से 36.64 प्रतिशत ज्यादा है. उल्लेखनीय है कि 2021-22 के दौरान भारतीय रेलवे (Indian Railways) के इतिहास में 6,366 रूट किलोमीटर (RKM) का रिकॉर्ड विद्युतीकरण हासिल किया गया था. इससे पहले, 2020-21 के दौरान सबसे ज्यादा इलेक्ट्रिफिकेशन 6,015 आरकेएम था.
53,470 किलोमीटर का हो चुका electrification
ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 31 अक्टूबर 2022 तक, इंडियन रेलवेज (केआरसीएल सहित) के ब्रॉडगेज (बीजी) नेटवर्क के 65,141 आरकेएम में से 53,470 बीजी आरकेएम का विद्युतीकरण (Indian Railways electrification) किया जा चुका है, जो कुल ब्रॉडगेज (बीजी) नेटवर्क का 82.08 प्रतिशत है. उल्लेखनीय है कि डीजल इंजन के चलते रेलवे (Indian Railways) का खर्च बहुत ज्यादा आता है और इलेक्ट्रिफिकेशन हो जाने से फ्यूल मद में होने वाले खर्च में भारी कमी आएगी और बड़ी राहत मिलेगी.
चौंकाने वाली बात जानिए
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भारतीय रेलवे (Indian Railways) को लेकर हाल ही में रेल राज्य मंत्री रावसाहेब दानवे (Raosaheb Danve) ने कहा कि पैसेंजर ट्रेनों को चलाने से रेलवे को रेवेन्यू के मामले में कोई फायदा नहीं होता है. बल्कि सरकार लोगों की सुविधा के लिए इन ट्रेनों को चलाती है. उन्होंने बताया कि पैसेंजर्स ट्रेनों को चलाने से होने वाले नुकसान की भरपाई माल ढुलाई वाले ट्रेनों से किया जाता है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि खर्च किए गए हर रुपये से उसे 55 पैसे का नुकसान होता है.
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03:25 PM IST